12/20/2008

क्यूं कहते हो ...

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता...

कोई सह लेता है कोई कह लेता है...
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता...

आज अपनों ने ही सिखा दिया हमें...
यहाँ ठोकर देने वाला,हर पत्थर नही होता

क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलों से हारे बैठे हो...
इसके बिना कोई मंज़िल,कोई सफ़र नही होता...

कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर...
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में दूसरा नहीं होता...