6/26/2009

बहुत बदल गया हूं मैं...

बहुत बदल गया हूं मैं...


वक्त की चुनौतियों से हर पल लड़ता आया हूं मैं...

मौत से भी लड़ते हुये मैंने देखा था अपनी मां को...

ज़िगर के तुकड़े के जुदा होने का गम भी झेला है मैंने...

हर लम्हा मौत के बीच गुज़ार कर कई रात नहीं सो पाया हूं मैं...

वक्त की अठखेलियों के हाथों हर-दम खेला गया हूं मैं...

जीवन के हर लम्हें में , छला गया हूं मैं...

नहीं कोई शिकवा , न कोई शिकायत है मुझे...

वक्त का दस्तूर है ये , इसलिए अब--- बदल गया हूं मैं...