10/03/2014



यकीन मान कि तू हारा नहीं है...
लोग कुछ भी सोंचे लेकिन तू बेचारा नहीं है
कोई नहीं वक्त किसी का एक सा नहीं होता
“कल” तुम्हारा था, “आज” हमारा नहीं है
यकीन मान कि तू हारा नहीं है...
कोई रंज न कर ग़र तेरे साथ कोई नहीं है
खुद को देख आइने में हर रोज़
आसमां के तारों को देख , ज़मीं के सितारों को देख
देख सड़क पर घूमते आवारा जानवरों को देख
तू देख महलों मे रहने वाले रईसों को देख
देख तू दनिया के रंग-बिरंगे छल को देख
प्यार करने वालों को देख, नफ़रत करने वालों को देख
तुझे ये खुद ही महसूस होगा
कि तू हारा नहीं है...
लोग कुछ भी सोंचे लेकिन तू बेचारा नहीं है
कोई नहीं वक्त किसी का एक सा नहीं होता
“कल” तुम्हारा था, “आज” हमारा नहीं है



तुझे मुझ पर यकीं हो न हो, मुझे खुद से ज़्यादा तुझ पर है
खुदा ने भेजा है मुझे, पूरे यकीन के साथ...

ग़र हारा हूं , तो जीत भी मैंने हासिल की है
तमाम लम्हें गुज़ारे हैं तेरे बिन, तो प्रीत भी तुझ से ही की है
तू न हो उदास इक पल को भी
तू न हो निराश इक पल को भी
तूने जो भरोसा किया था उस दिन मुझ पर
मैं उसे कभी टूटने न दूंगा
ग़र हारा हूं , तो जीत भी मैंने हासिल की है
तमाम लम्हें गुज़ारे हैं तेरे बिन, तो प्रीत भी तुझ से ही की है
लौट के आऊंगा मैं ज़रूर फिर से, जल्द ही...
लौट के छाउंगा मैं ज़रूर फिर से, जल्द ही...
ये मेरा वादा है
ग़र हारा हूं , तो जीत भी मैंने हासिल की है
तमाम लम्हें गुज़ारे हैं तेरे बिन, तो प्रीत भी तुझ से की है