अपने शहर की गलियाँ बहुत याद आती हैं
जब भी गुजरता हूं इन गलियों से
वो महबूबा बहुत याद आती है...
जब भी गुजरता हूं इन गलियों से
वो महबूबा बहुत याद आती है...
मैं निकलता था जब भी इन गलियों से
वो सूरज की रौशनी सी छत पर आ जाती थी
जब से गया हूं इन गलियों को छोड़कर
ये गलियाँ अब मुहब्बत का अहसास कराती हैं
अपने शहर की गलियाँ बहुत याद आती हैं ...
ये गलियाँ अब मुहब्बत का अहसास कराती हैं
अपने शहर की गलियाँ बहुत याद आती हैं ...
#रावीबरेलवी ।RK ।
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