4/21/2012

खुद की परेशानियों में इतना उलझ गया हूं मैं...
       शायद कहीं ... खो गया हूं मैं...

      सोंचता हूं कि... अब लौट चलूं वापस...
मगर लगता है कि अब... रास्ता भी भटक गया हूं मैं...

खुद की परेशानियों में इतना उलझ गया हूं मैं...
       शायद कहीं ... खो गया हूं मैं...

वक्त की उलझन ने ... इस कदर उलझाया मुझे...
सुलझने की चाहत ने कई बार सुलझाया मुझे बस...

      सुई में धागा पिरोते- पिरोते...
धागे की तरह...सर्ररर-से-जैसे सरक गया हूं मैं...

  खुद की परेशानियों में इतना उलझ गया हूं मैं...
            शायद कहीं ... खो गया हूं मैं...!!!

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