हर ज़ख्म सह लेने की आदत है अब मुझे...
पीछे से वार सह लेने की आदत है मुझे...
आस्तीन के सांप पाले हैं ना जाने कितने...
तभी तो हर ज़हर पी लेने की आदत है मुझे...!!!
ज़हर-पी-पीकर मैं बन गया हूं विष का समंदर...
तभी तो ख़तरों से खेलने की आदत है मुझे...!!!
पीछे से वार सह लेने की आदत है मुझे...
आस्तीन के सांप पाले हैं ना जाने कितने...
तभी तो हर ज़हर पी लेने की आदत है मुझे...!!!
ज़हर-पी-पीकर मैं बन गया हूं विष का समंदर...
तभी तो ख़तरों से खेलने की आदत है मुझे...!!!
हर ज़ख्म
सह
लेने
की
आदत
है
अब
मुझे...
पीछे से वार सह लेने की आदत है मुझे...
पीछे से वार सह लेने की आदत है मुझे...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें