6/22/2014

इक नई जंग

हर दिन इक नई जंग...एक नई उड़ान है
अकेले हूं ये पता है मुझे
तभी तो तूफानों से प्यार है...


वक्त बदला था , सोंचा था मैंने...
अब साथ चलेंगे मिलकर
लेकिन क्या पता था...कि
वक्त के हाथों फिर से मात खा जाऊंगा...


यकीं है खुद पर,
भले ही मुझ पर कोई एतवार न करे
हर वार का दूंगा जबाव
चाहें कोई छुपकर ही मुझपर वार क्यों न करे


नहीं है मुझमें समझ ऐसा लोग सोंचते हैं
माया का नहीं है मोह फिर भी लोग टोंकते हैं
घमंड नहीं खुद पर मुझे नाज़ है
तुझे हो न हो लेकिन मुझे खुद पर एतवार है...


हर दिन इक नई जंग...एक नई उड़ान है
अकेले हूं ये पता है मुझे
तभी तो तूफानों से प्यार है...

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