9/11/2014

मैं बदल गया हूंं या तुम बदल गये हो...

मैं बदल गया हूं या तुम बदल गये हो
क्यों लगता है हमसफ़र हमसे जुदा हो गया है

क्यों महसूस होती हैं दूरियां ये तुमसे
क्यों दिलों का कारवां ख़फ़ा-ख़फ़ा सा हो गया है

जानता ग़र मैं अपनी ज़िंदगी की इन राहों को
कसम से न मुड़ता उधर, बस तन्हां गुज़र गया होता

कांटों के पथ पर चलना आदत है मेरी
फूलों का तोहफा बस तुम्हें दे गया होता

महसूस होती थी हर नब्ज़ तुम्हारे अल्फ़ाज़ों से
मगर अब अल्फ़ाज़ों में भी तकल्लुफ़ होने लगी है

इंतज़ार में लम्हां-लम्हां जिसके करीब होता था
वो ही आज मीलों से भी लंबा फासला सा दिखती है

मैं बदल गया हूं या तुम बदल गये हो

क्यों लगता है हमसफ़र हमसे जुदा हो गया है...!!!

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