9/11/2014

मैं कौन हूं...

   अपनी मां का लाल या पिता का राजदुलारा
मैं कौन हूं...
   अपने दादा का नाती या नानी का पोता
मैं कौन हूं...
   अपनी क्लास का क्लॉस मॉनीटर या वैकबेंचर
मैं कौन हूं...  
   अपने दोस्तों का चहेता या किसी का दुश्मन
मैं कौन हूं...
   अपने मुहल्ले का मासूम या गली का आवारा
मैं कौन हूं...
अपने रसूखदार ख़ानदान का इकलौता वारिस या इक बहन के प्यार को तरसता भाई  
मैं कौन हूं...
   अपनी प्रेयसी का प्यारा या फिर किसी की नफ़रत का शिकार
मैं कौन हूं...
   एक रंगीला या फिर इक गुमनाम किरदार
मैं कौन हूं...
   गरीबों का रहनुमा या अमीरी का अहंकार
मैं कौन हूं...
   आस्तिक या फिर इक नास्तिक
मैं कौन हूं...
   रोज़गार या फिर इक बेरोज़गार
मैं कौन हूं...
   एक पत्रकार या फिर बेक़ार
मैं कौन हूं...
   मां होती तो उससे ज़रूर पूंछता
पिता से क्या पूछूं...
   नौ महीने कोख़ में पालने की पीड़ा
   खुद भूखे रहकर आंचल में सहेजकर रखने की ममता
   उंगली पकड़कर ज़मीन पर पैर धरने की कला
   कान पकड़ सही और ग़लत का ज्ञान
      ये सब कुछ तो दे गई वो

सच में अगर वो होती, तो आज़ मैं ज़रूर पूंछता....

मां बता न..........कौन हूं मैं...
तेरा मान, अभिमान और स्वाभिमान

या फिर...इक पूर्ण विराम...!!!

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