तेरा अहसास
आज भी बाकी है मुझमें...
मेरे जीने की वजह ये ही काफी है मुझमें
तेरी चाहत के पल मेरी सांसों में बसते हैं
तेरी यही यादें काफी हैं मुझमें...!!!
तेरी हर सीख से आज,सच में ज़िंदा हूं...
वरना दुनिया ने तो कब का मार डाला था
हंसता था-खिल-खिलाता था
चुलबुल था, शैतान था
रूदन करता था, तो तू कैसे भी मना लेती थी
मेरी हर नादानी को तू पल में भुला देती थी
वो मेरा बचपन था और तेरा बढ़प्पन
आज मैं बड़ा हो गया हूं...बचपन से भले ही परे हो गया हूं
लेकिन "मां"
तेरा अहसास
आज भी बाकी है मुझमें...
मेरे जीने की वजह ये ही काफी है मुझमें
तेरी चाहत के पल मेरी सांसों में बसते हैं
तेरी यही यादें काफी हैं मुझमें...!!!
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