कौन है तुझमें छुपा...वो कौन है मुझमें छुपा...
झांककर बस देख ले, तू खुद में 'खुद' को भला...
सच की आंधयों को लेकर तू कूद पड़, सच की जंग में
सदा
न रुक, न सोंच,
कि अगले पल क्या होगा- तेरा और क्या
मेरा भला...
खुद से उपर उठकर देख
खुद से हटकर तू सोंच ज़रा
खुद में खुद को कर महसूस
और मिला दे
खुद को खुदा में ज़रा
फिर सोंच ज़रा, कि क्या था तेरा,
और क्या था मेरा
ये जल-थल-नभ-अग्नि-पाताल
हर शख्स में है जन्म से ही तो
है भरा
फिर
क्यों मौन है तूने धरा, क्यों मौन है मैंने
धरा
बन जायें हम सब- अब बागी
और हिलां दें इक बार सारी धरा
सच की आंधी तले - बस रौंद दे
हर इक बला
कौन है तुझमें छुपा...वो कौन है मुझमें
छुपा...
झांककर बस देख ले, तू खुद में 'खुद' को भला...
सच की आंधयों को लेकर तू कूद पड़, सच की जंग में
सदा
न रुक, न सोंच,
कि अगले पल क्या होगा- तेरा और क्या
मेरा भला...!!!
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