10/20/2012

भ्रष्टाचार - भारत और जुगाड़...

भारत और भ्रष्टाचार - ये एक दूसरे के पर्यायवाची बन चुके हैं...इस देश में हर शख्स भ्रष्टाचार में लिप्त है...बच्चे के जन्म से लेकर इंसान के मरने के बाद भी भ्रष्टाचार उसका पीछा नहीं छोंड़ता...उदाहरण के लिए - एक बच्चे का जन्म होता है, फर  चाहें घर में हो या फिर अस्पताल में...उसके जन्म का सर्टिफिकेट बनवाने ले लेकर किसी शख्स के मरण का प्रमाण पत्र बनवाने तक आपको भारत देश में बिना सुविधा शुल्क दिये...ये दोनों हासिल नहीं हो सकते...ऐसा संभध है भ्रष्टाचार और भारत में...

                 अब सवाल ये उठता है कि जो समाजसेवी आजकल भ्रष्टाचार को भगाने की ज़िम्मेदारी लिये सड़कों से लेकर सत्ता के गलियारों तक हो-हल्ला बोल रहे हैं...क्या वो सच में भारत को - भ्रष्टाचार से मुक्त कर देंगे...बहुत अहम और गंभीर सवाल है ये...?

                  दरअसल ऐसा हो नहीं सकता...और कतई नहीं हो सकता ...भारत देश में ... चाहें आप कितने भी आंदोलन, अनशन और धरना-प्रर्दशन कर लीजिए...क्योंकि इन सबके पीछे भी कई कारण हैं...दरअसल इस देश के लोगों को " जुगाड़ "  नामक शब्द से बेहद प्यार है... और जब उनका जुगाड़ प्रेम बरकरार रहेगा इस देश से भ्रष्टाचार कभी नहीं जा सकता...
        अगर आप सोंच रहे हैं कि मैं नकारात्मक सोंच का शख्स हूं, तो सोंचिए, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता...सोंचते रहिए...क्योंकि आपको-हमें-  हर काम में जुगाड़ चाहिए ना...लेकिन इस सच्चाई को मानने में बेहद संकोच और शर्म महसूस होती है ... है ना...सोंचिए-सोंचिए...होती है ना...

       अरे भई मैं कहता हूं होती है... आपका अचानक प्रोग्राम बनता है कि कल ही चेनन्ई रवाना होना है , प्लेन का टिकट तो महंगा होगा ट्रेन से ही चलते हैं...अब आप जुगाड़ भिड़ाते हैं कि कहीं से भी कैसे भी बस टटिकट कंफर्म हो जाये...पैसे देकर...दलाल से...कैसे भी...बस टिकट हो जाय़े...

         अच्छा आप ऐसा नहीं करते हैं...मैं झूठ बोल रहा हूं...ओके - तो कभी आपका कोई ज़िगरी या घर का सदस्ये गंभीर तौर पर बीमार पड़ता है ...तो क्या आप एम्स जैसे अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के लिए " जुगाड़ " नहीं भिड़ाते... सोंचिए क्या सच में नहीं करते ऐसा आप...चलिए मान लिया आपका तर्क ...नहीं करते... क्योंकि मान लिया कि आप मेरी तरह बरेली जैसे छोटे शहर में रहते हैं... तो वहां सानी से अस्पताल में दाखिला मिल जाता है... और आपके मरीज़ की तबीयत ज़्यादा बिगड़ जाये तो ... तब क्या करेंगे .. दिल्ली लेकर नहीं आएंगे... को जुगाड़ भिड़ाना शुरू नहीं करेंगे... खुद ही सोंचिए....

         मैं ये हरगिज़ नहीं मान सकता है कि हम भारत से भ्रष्टाचार उखाड़ फेंकेगें...हां हम कम कर सकते हैं...लेकिन लोग इतने जुगाड़ू हैं कि वहां भी अपनी घुसपैठ बना ही लेंगे....अरे उनकी - जुगाड़--जो है।  

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