10/20/2012

आम आदमी और टी.वी मीडिया...

आम आदमी ... आज के वक्त में जब कभी किसी मुद्दे को लेकर परेशान होता है, तो अखबार के पत्रकार को छोंड़कर से सीधे टीवी मीडिया के पत्रकार या टी वी चैनल से संपर्क करता है...एक आस होती है कि उसकी बात सुन ली जाएगी...उसे राहत मिलेगी...लेकिन दोस्तों कई मर्तवा ऐसा होता है, कि उस शख्स की दिक्कत, परेशानी, मुश्किल जो कुछ भी होती है, उसका वो ननिदान सीधे टी.वी पर दिखाकर मांगना चाहता है...ना कि कानून, पुलिस या संबधित अधिकारी से सीधे शिकायत या बात करके... दरअसल, ऐसा अब इसलिए होने लगा है कि क्योंकि अधिकांश बिना पैसे कोई काम करता नहीं, ऊंची पहुंच ना होने के चलते बात ऊपर तक पहुंचती नहीं, और अगर दर-ख्वास्त पहुंच भी गई तो सुनवाई ही नहीं होती...फाइलें दूसरी पुरानी फाइलों के ढेर में दबकर दम तोड़ देती हैं...और उसी के साथ उस शख्स की उम्मीद भी तिल-तिल कर क़त्ल हो जाती है...

              वहीं दोस्तों दूसरी ओर कई बार ऐसा होता है, कि टी वी पत्रकार को आम आदमी की कहानी इतनी दमदार नज़र आती है कि बस तहलका मचा देने का मन करता है उस पत्रकार भाई का...दरअसल आज की पत्रकारिता में नेम , फेम और मनी... बस यही कुछ बचा है...आम दमी की शिकायत से सरोकार नहीं होता बल्कि स्टोरी कितननी हिट रहेगी और कितनना सर छोड़ेगी इस पर ज़्यादा तबज्ज़ो दी जाती है... हां एक आध-वार हो जाता है कि कभी कोई परेशानी दिखा दी जाये...वरना स्टोरी लो-प्रोफाइल के चलते कवर ही नहीं की जाती ...

उदाहरण के तौर पर - सोनीपत के एक लॉ-कॉलेज में  प्रथम या द्वतीय वर्ष  की लॉ ( कानून-विधि संकाय ) की एक लड़की के साथ रेप जैसा संगीन अपराध होता है ...उस इंस्टीट्यूट की कई लड़कियां ... सैकड़ों बार उस लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए टी.वी मीडिया के दफ्तरों में फोन करतीं हैं...पत्रकारों से संपर्क साधती हैं... लेकिन जब मीडिया की हकीकत से रू-बरू होतीं हैं...तो उनके मन में टी वी मीडिया के लिए एक कोफ़्त जन्म ले लेती है... दरअसल ऐसा इसलिए हुआ , क्योंकि उस वक्त डी.वी मीडिया को लड़की के साथ बलात्कार की वारदात  इतनी दमदार नज़र नहीं आई... टीआरपी वाली ख़बर नहीं थी वो... क्योंकि उस वक्त एक विदेशी क्रिकेटर ने एक एक विदेशी महिला को छेंड़ दिया था...तो टी.वी वालों के लिए सबसे अहम ख़बर वो ही थी...

     आप ये मत सोचिए कि कि ऐसा हर वार होता है, लेकिन सच तो ये ही है कि ऐसा तमाम वार होता है... पिछले करीब 12  सालों से टी वी मीडिया से जुड़ा हूं...तमाम उतार चढ़ाव देखे...लेकिन आम दमी के लिए टी वी मीडिया का जो दर्ज़ा देखा वो दोयम दर्ज़े का ही देखा...ये कहते हुए दिल को बहुत कष्ट होता है ... लेकिन ये ही सच है दोस्तों...!          

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